सर्दियों सा इश्क हमारा !
ढूंढता है,
फिर -
प्यार की वह गुनगुनी धूप ,
चहकता, इठलाता, इतराता यौवन ,
पहाड़ी के उस छोर पर ,
जहां सूरज के साथ,
प्रेम की पहली किरण उगी थी,
और प्रस्फुटित हुआ था,
रिश्तों का नया संसार,
बर्षो बाद -
आज फिर मैं वहीं हूँ ,
बिल्कुल वही हूँ,
वही हवायें हैं ,
वही फिजायें हैं ,
कुछ.. कुछ अलसाई
सर्द सुबह भी वही है,
नहीं है .... तो बस !
तुम.....और
साथ… तुम्हारा ….!!
****शिव प्रकाश मिश्रा *****
जनवरी 15, 2020
फिर -
प्रेम की पहली किरण उगी थी,
रिश्तों का नया संसार,
बर्षो बाद -
सर्द सुबह भी वही है,